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बापू की बातें

उमाशंकर जोशी

प्रकाशक : नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया प्रकाशित वर्ष : 2004
पृष्ठ :28
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 6217
आईएसबीएन :81-237-0112-8

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महात्मा गाँधी से जुड़ी घटनाओं का उल्लेख उमाशंकर जोशी ने बच्चों हेतु सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया है ......

Bapu Ki Batein-A Hindi Book by Umashankar Joshi - बापू की बातें - उमाशंकर जोशी

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

बापू की बातें


उस रात बहुत घना अंधेरा था। मोहन को तो यों भी भूत-प्रेत से बड़ा डर लगता था। अंधेरे में उसे यही डर लगा रहता कि कहीं किसी कोने से भूत-पिशाच न आ धमकें फिर उस रात को तो सचमुच हाथ को हाथ नहीं सूझ रहा था। मोहन को कमरे से बाहर जाना था। बाहर निकला तो पैर मानो जम गये। दिल धौंकनी की तरह चलने लगा। संयोग से पास ही घर की पुरानी दाई रंभा खड़ी थी। उसने हंस कर पूछा, ‘‘क्या हुआ मोहन ?’’
‘‘मुझको तो डर लग रहा है, दाई,’’ मोहन ने कहा।
‘‘धत् पगले, डर काहे का ?’’

‘‘कितना अँधेरा है, देखो तो। कहीं भूत-पिशाच न आ घेरें,’’ मोहन ने फुसफुसाकर कहा।
दाई ने प्यार से मोहन के सिर पर हाथ रख कर कहा, ‘‘अँधेरे से भी कोई डरता है भला ? बस, राम का नाम लेते चलो। भूत-पिशाच पास नहीं फटकेंगे। तुम्हारा कोई बाल भी बाँका नहीं कर सकेगा। राम तुम्हारी रक्षा करेंगे।’’
रंभा की बात से मोहन का साहस बढ़ा। दिल मजबूत करके, राम का नाम लेते हुए आगे बढ़ गया।
उस दिन से मोहन के मन का डर जाता रहा। वह कभी भी अपने को अकेला महसूस नहीं करता था। उसको विश्वास था कि जब तक राम उसके साथ हैं तब तक उसको कोई नुकसान नहीं पहुँचा सकता। तभी से राम-नाम उसके जीने का मंत्र बन गया। यहाँ तक कि जीवन की अंतिम घड़ी में भी राम का नाम ही उसकी जुबान पर था।


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